top of page
Search

वो.....

  • Brij Mohan Vatsal
  • Aug 4, 2011
  • 1 min read

उसके होंठो पर जब भी छायी है मुस्कान

दो पत्तियाँ उस फूल की लडखडाई होंगी

करने को उसके तेज का सामना

उगते सूरज की किरण भी धूप से नहाई होगी |

उसके कदमों को छूने की चाहत में

जिसने रात भर किया हो इंतज़ार

वो सुबह की ओंस

फूली समाई न होगी |

उसकी आँखों की चमक पाने को

बेसब्र रही जो रात भर

सुबह को लोट जाने पर

वो चाँदनी भी पछताई होगी |

साथ उड़ते उसके आँचल के

लहराते बालो को देखकर

साथ बहती है जो

वो हवा भी शरमाई होगी |

 
 
 

Comments


Featured Poems
Recent Poems
bottom of page