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तुझे देखता हूँ तो जीता हूँ ...
तुझे देखता हूँ तो जीता हूँ तेरे बाद न जाने क्या होगा जिंदगी है ज़हर पर पीता हूँ असर ना जाने क्या होगा | चंचल मन की मेरी आशाएं रह रह कर...
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जुबां अब बंद नहीं होती...
जुबां अब बंद नहीं होती क्यूँ रातें कम नहीं होती कहूँ क्या क्या तुम्हे अब मैं ये बातें कम नहीं होती | बाँहें करती हैं बेईमानी नशा छा जाता...
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कुछ और तुम दें दो...
मेरे मन की मति को, मति कुछ और तुम दें दो मुझे इस छोर से उस छोर की तुम अनुमति दें दो | लहू बनकर बिसर जाऊं तेरे हृदय के कण कण में मेरे हृदय...
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वो जब कभी.....
वो जब कभी मेरे सामने आकर बैठ जाया करती थी बहुत चुराती थी नज़रे पर कमबख्त मिल जाया करती थी | बालो को अपने बाँधने को वो देती रहती थी ऐठे पर...
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एक बार जीवन में ......
स्वपन सलोने दिखाओं तो नयन को नयनों में भर दो प्रेम के तरल को तरल बना दो इस हृदय प्रबल को प्रबल धरा में खिला दो कमल को तो कमल से अधरों का...
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स्वप्न...
कुछ तुम कहती, कुछ मैं कहता मधुमय तन की ये अंगडाई नैनों में हाला भर लायी रसपान करो इस मधु विष का जाने कोनसा प्याला हो किसका | करो...
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वो.....
उसके होंठो पर जब भी छायी है मुस्कान दो पत्तियाँ उस फूल की लडखडाई होंगी करने को उसके तेज का सामना उगते सूरज की किरण भी धूप से नहाई होगी |...
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